Not known Facts About shiv chalisa lyricsl
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बृहस्पतिदेव की कथा
काशी में जाके विराजे देखो तीनो लोक के स्वामी
वेद नाम महिमा तव गाई। अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥
देवो के हित विष पी डाला, नील कंठ को कोटि प्रणाम, नील shiv chalisa lyricsl कंठ को कोटि प्रणाम
इच्छा तुम्हारी बिना कुछ भी नहीं होता ॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन नहीं ताके रहे कलेशा॥
बृहस्पतिदेव की कथा
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष more info महँ मारि गिरायउ॥
अस्तुति केहि विधि करौं Shiv chaisa तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
शिव आरती
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥